सहरसा, बिहार में कोसी नदी के जलस्तर में तेज़ी से वृद्धि के कारण बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। नौहट्टा प्रखंड के अधिकारियों ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने या राहत शिविरों में स्थानांतरित होने की अपील की है।
बाढ़ की मौजूदा स्थिति
उत्तरी बिहार और नेपाल में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण कोसी नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। कई गांवों में बाढ़ से लोगों के घर जलमग्न हो गए हैं और उनका दैनिक जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इस कारण से कृषि भूमि और घरों को भीषण नुकसान हुआ है, और निवासियों के साथ-साथ उनके पशु भी संकट में हैं।
#Bihar #सहरसा : कोसी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए नवहट्टा के अंचलाधिकारी द्वारा नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में रह रहे लोगों से ऊंचे स्थानों या राहत शिविरों में शरण लेने की अपील की है।
— आकाशवाणी समाचार, पटना (@airnews_patna) September 28, 2024
Report : Arti Kumari@SaharsaDm @airnewsalerts pic.twitter.com/cpQ8pqHw5t
प्रशासन की प्रतिक्रिया
नौहट्टा प्रखंड के अधिकारियों ने बाढ़ संभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से तुरंत सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है। प्रशासन द्वारा राहत शिविरों में व्यवस्था की गई है ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। हालांकि, स्थानीय निवासियों ने प्रशासन की ओर से पर्याप्त सहायता न मिलने की शिकायत की है। उन्हें भोजन, पीने के पानी और पशुओं के लिए जरूरी संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, और कई लोग निजी नावों का उपयोग कर रहे हैं क्योंकि सार्वजनिक सेवाएं पर्याप्त नहीं हैं।
बाढ़ का व्यापक प्रभाव
यह बाढ़ की स्थिति हर साल मानसून के दौरान देखी जाती है, और कोसी नदी को इसके विनाशकारी प्रभावों के कारण "बिहार का शोक" कहा जाता है। गंगा और गंडक जैसी अन्य नदियों का जलस्तर भी खतरे के निशान से ऊपर है, जिससे चिंता और बढ़ गई है। प्रशासन स्थिति पर करीबी निगरानी रख रहा है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही मौसम स्थिर होगा ताकि बाढ़ का खतरा कम हो सके।